Sri Rama Apadhu Dharaka Stotram is the Slokam in praise of and as prayer to Sri Rama, the seventh incarnation of Sri Maha Vishnu.
Sri Rama Apadhu Dharaka Stotram is believed to be the conversation between Lord Shiva and Goddess Parvathi as mentioned in Sri Agasthya Samhitham. Ths Slokam describes the virtues and attributes of Lord Sri Rama.
This slokam is mostly recited as sequel to Sri Vishnu Sahasra Namam. Roga Vivarana Stotram is recited as the sequel to this.
Sri Rama Apadhu Dharaka Stotram is also recited for getting protection from fear and for recovery from the ailments. The first slokam commencing with “aapadhaam’’ should be repeated at the end of every stanza.
Sri Rama Apadhu Dharaka Stotram is presented in Devanagari and English scripts.
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् (1)
aapadhaam-apaharthaaraM dhaathaa-raaM sarva-sampadhaam
lokaaBhi-raamaM shree-raamaM bhooyo bhooyo namaam-yaham
आर्तानां आर्तिहंतारं भीतानां भीति नाशनम्
द्विषतां कालदंडं तम् रामचन्द्रं नमांयहम् (2)
aarthaanaaM aarthi-hanthaaraM bheethaanaaM bheethi naashanam
dhviShathaaM kaala-dhaMdaM tham raama-chandhraM namaaM-yaham
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
नम: कोदण्ड हस्ताय सन्धीक्रुत शराय च
दण्डिताखिल दैत्याय रामायापन्निवरिणे (3)
namah kodhaNda hasthaaya sanDheekrutha sharaaya cha
dhaNditha-akhila dhaithyaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
अपन्ना जन रक्षैक दीक्षायामित तेजसे
नमोऽस्तु विष्णवे तुभ्यं रामायापन्निवरिणे (4)
apannaa jana rakShaika dheekShaa-yaamitha thejasae
namoaAsthu viShNave thubhyaM raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
पदाम्भोज रजस्स्पर्श पवित्रमुनि योशिते
नमोऽस्तु सीतापतये रामायापन्निवरिणे (5)
padha-ambhoja rajas-sparsha pavithra-muni yoshithae
namoaAsthu seethaa-pathaye raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
दानवेन्द्र महामत्त जगपच्चास्य रूपिणे
नमोऽस्तु रघुनाथाय रामायापन्निवरिणे (6)
dhaana-vendhra mahaa-maththa jaga-pach-chaasya roopiNae
namoaAsthu raghu-naaThaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
महिजा कुचसंलग्रकुङ्कुमारुण वक्षसे
नम: कल्याणरूपाय रामायापन्निवरिणे (7)
mahijaa kuchasaM-lagraku-GkumaaruNa vakShase
namah kalyaaNa-roopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
पद्म सम्भव भूतेश मुनिसंस्तुत कीर्तये
नमो मार्ताण्ड वम्श्याय रामायापन्निवरिणे (8)
padhma sambhava bhoothesha muni-saMsthutha keerthaye
namo maarthaaNda vamshyaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
हरत्यार्तिं च लोकानां यो वा मधुनिषूदन
नमोऽस्तु हरये तुभ्यं रामायापन्निवरिणे (9)
harathyaarthiM cha lokaanaaM yo vaa maDhuni-Shoodhana
namoaAsthu harayae thubhyaM raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
तापकारण संसार गज सिंह स्वरूपिणे
नमो वेदान्त वेधाय रामायापन्निवरिणे (10)
thaapakaaraNa saMsaara gaja siMha svaroopiNae
namo vedhaantha veDhaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
रङ्ग तरङ्ग जलाधि गर्व ह्रुच्छर धारिणे
नम: प्रताप रूपाय रामायापन्निवरिणे (11)
ranGga tharanGga jalaaDhi garva hruch-Chara DhaariNae
namah prathaapa roopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
दारोपहित चन्द्रावतं सध्या तस्व मूर्तये
नम: सत्यस्वरूपाय रामायापन्निवरिणे (12)
dhaaro-pahitha chandhraa-vathaM saDhyaa thasva moorthayae
namah sathya-svaroopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
तारा नायक सङ्काश वदनाय महौजसे
नमोऽस्तु ताटकाहन्त्रे रामायापन्निवरिणे (13)
thaaraa naayaka sanGkaasha vadhanaaya mahaujase
namoaAsthu thaatakaa-hanthre raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
रम्य सानुल सच्चित्रकूटाक्ष मविहारिणे
नम सौमित्रि सेव्याय रामायापन्निवरिणे (14)
ramya saanula sach-chithrakoota-akSha mavi-haariNe
nama saumithri sevyaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
सर्व देव हिता सक्त दशानन विनाशिने
नमोऽस्तु दु:ख ध्वम्शाय रामायापन्निवरिणे (15)
sarva dheva hithaa saktha dhasha-anana vinaashine
namoaAsthu dhuhkha Dhvamshaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
रत्न सानु निवासैक वन्ध्या पदाम्बुजाय च
नमस्त्रैलोक्य नाथाय रामायापन्निवरिणे (16)
rathna saanu nivaasaika vanDhyaa padha-ambujaaya cha
namas-thrailokya naaThaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
संसार बन्ध मोक्षैक हेतुधाम प्रकाशिने
नम: कलुष संहर्त्रे रामायापन्निवरिणे (17)
saMsaara banDha mokShaika hethu-Dhaama prakaashine
nama kaluSha saMharthre raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
पवनासुग संङ्क्षिप्त मारीचादि सुरारये
नमो मख परिताते रामायापन्निवरिणे (18)
pavanaasuga saMG-kShiptha maaree-chaadhi suraaraye
namo makha parithaathe raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
दाम्बि केतर भक्तौ घमहदान्द दायिने
नम: कमल नेत्राय रामायापन्निवरिणे (19)
dhaambi kethara bhakthau ghamaha-dhaandha dhaayine
nama kamala nethraaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
लोकत्रयोद्वेगकर कुम्भकर्ण सिरस्छिदे
नमो नीरद देहाय रामायापन्निवरिणे (20)
loka-thrayodh-vegakara kumbha-karNa sira-sChidhe
namo neeradha dhehaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
काकसुरैक नयन हरल्लीला सत्र धारिणे
नमो भक्त्यैक वेद्याय रामायापन्निवरिणे (21)
kaaka-suraika nayana haral-leelaa sathra DhaariNae
namo bhakthyaika vedhyaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
भिक्षु रूप समाक्रान्त बलिसर्वैक सम्पदे
नमो वामन रूपाय रामायापन्निवरिणे (22)
bhikShu roopa samaa-kraantha bali-sarvaika sampadhe
namo vaamana roopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
राजीव नेत्र सुस्पम्द रुचिरङ्ग सुरोचिषे
नम: कैवल्यनिधये रामायापन्निवरिणे (23)
raajeeva nethra suspamdha ruchi ranGga surochiShe
namah kaivalya-niDhaye raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
मन्द मारुत संवीत मन्दार द्ध्रुम्वासिने
नम: पल्लव पादाय रामायापन्निवरिणे (24)
mandha maarutha saMveetha mandhaara dhDhrum-vaasine
namah pallava paadhaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
श्रीकण्ठ चापदलन धुरीण बल बाहवे
नम: सीतानुषक्ताय रामायापन्निवरिणे (25)
shree-kaNTa chaapa-dhalana DhureeNa bala baahave
namah seethaanu-Shakthaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
राजराज सुह्रुधोषार्चित मङ्गल मूर्तये
नम: इक्षवाकु वम्श्याय रामायापन्निवरिणे (26)
raja-raaja suhru-DhoSha-architha manGgala moorthayae
namah ikShavaaku vamshyaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
मञ्जुला दर्श विप्रेक्षणोत्सुकैक विलासिने
नम: पालित भक्ताय रामायापन्निवरिणे (27)
manjulaa dharsha viprekShaNoth-sukaika vilaasinae
namah paalitha bhakthaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
भूरि भूधर कोदण्डमूर्ति ध्येय स्वरूपिने
नमोऽस्तु तेजोनिधये रामायापन्निवरिणे (28)
bhoori bhooDhara kodhaNda-moorthi Dhyeya svaroopinae
namoaAsthu thejoniDhaye raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
योगीन्द्र ह्रुत्सरोजत मधुपाय महात्मने
नमो राजादि राजाय रामायापन्निवरिणे (29)
yogeendhra hruth-sarojatha maDhu-paaya mahaath-mane
namo raajaadhi raajaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
भू वराह स्वरूपाय नमो भूरिप्रदायिने
नमो हिरण्यगर्भाय रामायापन्निवरिणे (30)
bhoo varaaha svaroopaaya namo bhoori-pradhaayine
namo hiraNya-garbhaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
योषाञ्जलि विनिर्मुक्त लाञ्जित वपौष्मते
नम: सौन्दर्य निधये रामायापन्निवरिणे (31)
yoSha-anjali vinir-muktha laanjitha vapauSh-mathe
namah saundharya niDhaye raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
नखकोटि विनिर्भिन्न दैत्याधिपति वक्षसे
नमो न्रुसिंह रूपाय रामायापन्निवरिणे (32)
nakhakoti vi-nirbhinna dhaithyaa-Dhipathi vakShase
namo nrusiMha roopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
माया मानुष देहाय वेदोध्दारण हेतवे
नमोऽस्तु मत्स्य रूपाय रामायापन्निवरिणे (33)
maayaa maanuSha dhehaaya vedhoDh-dhaaraNa hethave
namoaAsthu mathsya roopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
मितिशून्य महादिव्य महिम्ने मानितात्मने
नमो ब्रह्मरूपाय रामायापन्निवरिणे (34)
mithi-shoonya mahaa-dhivya mahimne maanitha-athmane
namo brahmaroopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
अहङ्कारे तर जन स्वान्त सौध विहारिणे
नमोऽस्तु चित्स्वरूपाय रामायापन्निवरिणे (35)
ahanGkaare thara jana svaantha sauDha vihaariNe
namoaAsthu chithsvaroopaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
सीता लक्ष्मण संशोभि पार्स्वाय परमात्मने
नम: पट्टभिशिक्ताय रामायापन्निवरिणे (36)
seethaa lakShmaNa saMshobhi paarsvaaya paramaathmanae
namah pattabhi-shikthaaya raama-ayaapan-nivariNae
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
अग्रत: प्रुष्ट तश्चैव पार्श्वतश्च महाबलौ
अकर्णपूर्ण धन्वानौ रक्षेतां रामलक्ष्मणौ (37)
agrathah pruShta thashchaiva paarshva-thashcha mahaabalau
akarNa-poorNa Dhanvaanau rakShethaaM raama-lakShmaNau
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
सन्नध्द: कवची कड्गी चाप बाण धरो युवा
तिष्टन्ममाग्रतो नित्यं राम: पातु सलक्ष्मण: (38)
sannaDhdhah kavachee kadgee chaapa baaNa Dharo yuvaa
thiShtan-mamaagratho nithyaM raamah paathu sa lakShmaNah
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
फलश्रुति / Phalashruthi
इमं स्तवं भगवत: पठेद्य: प्रीतमानस: (39)
प्रभाते वा प्रदोषे रामस्य परमात्मनः
imaM sthavaM bhagavathah paTedhyah preetha-maanasah
prabhaathe vaa pradhoShe raamasya parama-athmanah
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
स तु तीर्त्वा भवाम्बोधि मापद स्सकलानपि
राम सायुज्य माप्नोति देव देव प्रसदत: (40)
sa thu theerthvaa bhava-amboDhi maapadha ssakalaanapi
raama saayujya maapnothi dheva dheva prasadhatha
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
कारा ग्रुहादि बाधासु सम्प्राप्ते बहुसङ्गटे
आपन्निवारक स्तोत्रम् पठेद्यस्तु यथाविदि: (41)
kaaraa gruhaadhi baaDhaasu sampraapthae bahu-sanGgatae
aapanni-vaaraka sthothram paTedh-yasthu yaThaa-vidhih
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
सम्योज्यानुष्टुभं मन्त्र मनुस्लोकं स्मरन्विभुम्
सप्ताहात्सर्व बाधाभ्यो मुच्यते नात्र संशय: (42)
samyo-jyaanuShtuBhaM manthra manu-slokaM smaran-vibhum
sapthaa-haath-sarva baaDha-abhyo muchyathe naathra saMshayah
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
द्वात्रिंश: द्वार जपत प्रत्यहं तु ध्रुढव्रत:
वैशाके भानुमालोक्य प्रत्यहं शत सङ्ख्य्या (43)
dhvaathriMshah dhvaara japatha prathyahaM thu DhruDa-vrathah
vaishaake bhaanumaa-lokya prathyahaM shatha sanGkhyyaa
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
धनवान् धनद प्रख्यासा भवेन्नात्र संशय:
बहूनात्र किमुक्तेन यं यं कामयते नर: (44)
Dhanavaan Dhanadha prakhyaasaa bhavenna-athra saMshayah
bahoona-athra kimuk-thena yaM yaM kaama-yathe narah
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
तं तं कामवाप्नोति स्तोत्रेणानेन मानवः
यन्त्र पूजा विधानेन जपहोमादि तर्पणै: (45)
thaM thaM kaamava-apnothi sthothreNa-anena maanavah
yanthra poojaa viDhaanena japaho-maadhi tharpaNai
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
यस्तु कुर्वीत सहसा सर्वान्कामानवाप्नुयात्
इह लोके सुखी भूत्वा परे मुक्तो भविष्यति (46)
yasthu kurveetha sahasaa sarvaan-kaamaanava-apnuyaath
iha loke sukhee bhoothvaa pare muktho bhaviSh-yathi
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:
raamaaya raamabhadhraaya raamachandhraaya veDhase
raghunaaThaaya naaThaaya seethaayaah pathaye namah